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Saint Premanand: किसे किया संत प्रेमानंद ने पहली बार अपने सिंहासन पर नियुक्त?

Kapil Sharma
By Kapil Sharma
Oct 09, 2025, 12:50 PM IST

गुरुशरणंद ने संत प्रेमानंद की स्थिति का जाना हाल ही में एक विशेष घटना में, गुरुशरणंद ने संत प्रेमानंद से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने संत की तबियत के बारे में जानकारी ली और उन्हें गले लगाते हुए पूछा, "आपकी स्थिति कैसी है?" यह एक भावुक क्षण था जब गुरुशरणंद...

गुरुशरणंद ने संत प्रेमानंद की स्थिति का जाना

हाल ही में एक विशेष घटना में, गुरुशरणंद ने संत प्रेमानंद से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने संत की तबियत के बारे में जानकारी ली और उन्हें गले लगाते हुए पूछा, “आपकी स्थिति कैसी है?” यह एक भावुक क्षण था जब गुरुशरणंद ने प्रेमानंद की देखभाल और स्नेह का प्रदर्शन किया। संत प्रेमानंद की स्वास्थ्य स्थिति के प्रति गुरुशरणंद की चिंता और स्नेह ने इस मुलाकात को और भी खास बना दिया।

संत प्रेमानंद ने गुरुशरणंद का स्वागत किया

संत प्रेमानंद ने गुरुशरणंद का स्वागत करते हुए उनके चरणों को धोया, उन पर चंदन लगाया और उन्हें माला पहनाई। उन्होंने कहा, “मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं है।” संत प्रेमानंद का ये भाव उनके श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है। इस प्रकार, दोनों संतों के बीच का ये अद्भुत स्नेह और आदर इस मुलाकात का मुख्य आकर्षण रहा।

गुरुशरणंद का संदेश

गुरुशरणंद ने इस अवसर पर प्रेमानंद से कहा, “आपकी स्थिति को लेकर मैं चिंतित हूं। आपकी सेहत और भलाई सबसे महत्वपूर्ण है।” उन्होंने संत प्रेमानंद को आश्वस्त करते हुए कहा कि वे हमेशा उनके साथ हैं और उनकी सेवा में तत्पर रहेंगे। गुरुशरणंद की यह प्रतिबद्धता दर्शाती है कि वे केवल एक गुरु नहीं, बल्कि एक सच्चे मित्र और मार्गदर्शक भी हैं।

संतों का आपसी स्नेह और आदर

इस प्रकार की मुलाकातें यह दर्शाती हैं कि संतों के बीच का संबंध केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि एक गहरी मित्रता और आपसी सम्मान का भी होता है। संत प्रेमानंद और गुरुशरणंद की यह मुलाकात इस बात का प्रमाण है कि कैसे संत एक-दूसरे के प्रति स्नेह और चिंता का भाव रखते हैं।

समाज में संतों की भूमिका

संतों की इस प्रकार की गतिविधियाँ समाज में एक सकारात्मक संदेश फैलाने का कार्य करती हैं। संत प्रेमानंद और गुरुशरणंद जैसे संत समाज में प्रेम, एकता और सहानुभूति का संदेश देते हैं। उनके कार्य और विचार लोगों को प्रेरित करते हैं कि वे भी एक-दूसरे की भलाई के लिए सोचें और काम करें।

अंत में

इस मुलाकात ने न केवल संत प्रेमानंद को संजीवनी शक्ति प्रदान की, बल्कि गुरुशरणंद के प्रति उनके आदर और स्नेह को भी उजागर किया। इस प्रकार, संतों के बीच का यह संबंध समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। हमें भी इस प्रकार की सकारात्मकता और स्नेह को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

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